आज खींची यह तस्वीर !
ठंड से बचने की जुगत में लगे तीन कुत्ते के पिल्ले ।
एक - दूसरे से लिपटे हुए !
ठंड से बचने के लिए हम न जाने क्या - क्या पहनते हैं - स्वेटर,जैकेट, शॉल और न जाने क्या - क्या ।
बिना रजाई या लिहाफ के तो कमरे के भीतर भी हमें नींद नही आती। लेकिन, ये तीनों खुले में.......
चेतना जहाँ भी है। सौंदर्य वहाँ है ही । चाहे वह पशुओं के भीतर का ही चैतन्य क्यों न हो । और वास्तविक सौंदर्य तो निर्दोष एवं निष्कलुष होने में है । और शायद इसीलिए यह सौंदर्य हर बच्चे में होता है । चाहे वह किसी पशु का हो या मनुष्य का हो ।
आज मन करता है उस चैतन्य के सृजक के हाथों को चूम लूँ । जिसका सृजन इतना जीवंत , इतना सौंदर्यपूर्ण है । वह न जाने कैसा होगा ?
लेखक - राजू रंजन
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