परम्परा

 


रात में राजा को एक सपना आया सपने में उसने देखा कि उसका सर मुंडा हुआ है और उसे देखकर एक गधा  इंसानों की तरह हँस रहा है राजा की नींद खुल गयी राजा परेशान !

उसने दरबार के सभी ज्योतिषियों को बुलवाया और अपना सपना बताया सबसे पूछा – “ इस सपने का अर्थ क्या है ?”

राजा थोडा सनकी था कुछ ऐसा बताया जो राजा को न भाया तो मृत्युदंड का भय !

पहले ज्योतिषी ने कहा – “ महाराज ! यह तो अत्यंत विशिष्ट प्रकार का स्वप्न है इसका फलकथन तो मात्र प्रधान ज्योतिषी ही कर सकते हैं

सभी ज्योतिषियों को यह युक्ति भा गयी सबने ठीकरा प्रधान ज्योतिषी के माथे फोड़ दिया

अब तो प्रधान ज्योतिषी के माथे पर बल पड़ गए माथे पर पसीने की बूँदे चमकने लगीं प्रधान ज्योतिषी को कुछ न सूझा तो उसने बहाना किया –

“ महाराज ! ऐसा स्वप्न तो अति दुर्लभ है इस स्वप्न के फलकथन के लिए मुझे मौनव्रत धारण कर दो दिन तक ध्यान में लीन होना होगा

राजा ने उसे दो दिन का समय दे दिया ज्योतिषी ने दो दिन का समय तो ले लिया लेकिन उसकी घबराहट शांत होने का नाम नहीं ले रही थी इस मुश्किल घड़ी में उसे अपने गुरु की याद आई वह दौड़ा – दौड़ा गुरु के पास गया और सारी  बात बताई

गुरूजी ने कहा – “ तू चिंता मत कर ! दो दिन बाद जब राजा पूछे तो कहना कि ध्यानावस्था में पता चला कि मेरे गुरुदेव ही इस स्वप्न का फलकथन कर सकते हैं उनको बुलवाया जाए फिर मैं आकर स्वप्न का फलकथन कर दूंगा

शिष्य बेचारा गुरु को प्रणाम कर चल दिया नियत समय पर राजा ने ज्योतिषी को बुलवाया और ज्योतिषी ने अपने गुरु की बात दोहरा दी राजा ने गुरु को बुलवाया कुछ समय के बाद गुरूजी दरबार में आये पर, बड़ी विचित्र बात थी कि गुरूजी गधे पर बैठ कर आये थे पूरा दरबार हँसने लगा

गुरूजी बोले – “ इसमें हँसने की बात नहीं  मैं उस गधे को ही लेकर आया हूँ जो सपने में हँस रहा था मैं जानवरों की  भाषा समझता हूँ इसने मुझे बताया है कि अगर एक बार राजा मेरी सवारी कर ले तो अगले महीने जो शत्रु का आक्रमण होनेवाला है वह नहीं होगा अन्यथा शत्रु उन्हें हरा देगा फिर उनका सर मुंडा देगा सपने में राजा ने मेरी बात नहीं मानी थी इसलिए मैं उसपर हँस रहा था अभी चाहे तो राजा अपनी गलती सुधार सकते हैं

बात तो गंभीर थी आक्रमण की बात सुनते ही सबके होश उड़ गए युद्ध में तो मृत्यु किसी की भी हो सकती है सबने मिलकर राजा को मनाया राजा ने गधे की सवारी की, शत्रु का आक्रमण नहीं हुआ और गधा राजा पर नहीं हँसा !

तबसे ऐसी परम्परा चल पड़ी है कि राजा को एक न एक बार गधे की सवारी अवश्य करनी पड़ती है

(वैधानिक चेतावनी : इस कहानी का वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में किसी के सर मुड़ाने या दाढ़ी बढाने से कोई लेना- देना नहीं है कहानी के सभी पात्र एवं घटनाएं काल्पनिक हैं )

लेखक – राजू रंजन


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