मेरे जीवन के अमर प्राण ।
हर क्षण रहते हैं साथ मेरे ,
तुम्हारे गाये वो प्रेम - गान ।
तुमको ही गुनता हूँ हर क्षण ,
तुमको ही सुनता हूँ हर क्षण ।
तुम अंतिम मेरा प्रेम प्रिये ,
तुम ही अंतिम हो लक्ष्य प्रिये ।
बस चाह मेरी इतनी ही है ,
तुम्हारे प्रेम में ही मिट जाएँ प्राण ।
कवि - राजू रंजन
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