मेरे पल-पल के इंतजार का जो तुम्हें पता होता,
तो शायद तुम और देर ना करते ।
मेरी सिसकियों का जो तुम्हें पता होता,
तो शायद तुम और देर ना करते ।
मेरे इश्क के पागलपन का जो तुम्हें पता होता,
तो शायद तुम और देर ना करते ।
मेरी रात भर जागती आँखों का जो तुम्हें पता होता,
तो शायद तुम और देर ना करते ।
मेरे दिल के ज़ख्मों का जो तुम्हें पता होता,
तो शायद तुम और देर ना करते ।
कवि- राजू रंजन
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