गिरधर प्रभु तुम आज पधारो,
इस उपवन में अब पग धारो ।
वंशी की सुमधुर तानों से,
जग को वृन्दावन कर डालो ।
आओ विराजो राधा के संग,
मन-मंदिर पावन कर डालो ।
भक्ति का तुम रस बरसा कर,
मन की पीड़ा अब हर डालो ।
छल और कपट मिटे सबका ,
ऐसी कुछ लीला कर डालो ।
कवि- राजू रंजन
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