विराट को अप्रैल 23, 2021 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप काल मुख वह्नि विराट ग्रस हास शेष रुद्नोच्छ्वासव्योम लीलित व्यक्त पाशअव्यक्त शेष शून्य श्वासआकंठ हलाहल क्षुधित घातनिर्द्वन्द्व हृद बद्ध ज्ञाननिज निर्णय रिक्त त्राणअद्वैत मिश्रित द्वैत प्राण कवि- राजू रंजन टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें