तुम्हारा प्रेम तपती धरती पर गिरती बारिश की बूँदों की तरह है,
जो हर बूँद के साथ मुझे शीतल करती जाती है ।
तुम्हारा प्रेम आम की बौरों की खुशबू की तरह है,
जो इस हृदय के बगीचे को अपनी सुगंध से भर देती है ।
तुम्हारा प्रेम वसंत की मादक बयार की तरह है,
जो जड़ को चेतन और चेतन को आनंदपूर्ण बना देती है ।
तुम्हारा प्रेम पूर्णिमा की रात की तरह है ,
जो अपनी चाँदनी से मेरी आत्मा को नहला देती है ।
तुम्हारा प्रेम देवनदी की धारा की तरह है,
जो मुझे अपने साथ अनंत तक बहाकर ले जाती है ।
कवि - राजू रंजन
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