प्रभु ! जो तुम फिर आ जाते !
तुम्हारे पथ में विह्वलता के पुष्प-पराग लुटाते ,
क्लांत तुम्हारे चरण प्रभु अश्रु से पखारे जाते ,
तुम्हारी पूजा की थाली में वेदना-पुष्प सजाते,
तुम्हारे शीश पर व्याकुलता का चन्दन-लेप लगाते,
तुम्हारे भोग में संतापों का तुलसी-पत्र चढाते ,
प्रभु ! जो तुम फिर आ जाते !
कवि- राजू रंजन
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