कि वो आते हैं !
जीवन के अपने कड़वे अनुभवों की दास्तान सुनाते हैं ,
और हमें सिखाते हैं इंसानी फितरतों से बचाव के नुस्खे,
और फिर स्वयं उन्हीं अनुभवों की लिहाफ में चैन से सो जाते हैं ,
और खींच जाते हैं कोरे मन पर भय की कई लकीरें !
वो फिर से आते हैं !
बताते हैं कि जिंदगी कितनी बदसूरत है,
कि कितने ठगे गए हैं वे अपनों के द्वारा ,
कि उनके असंतोष अनंत हैं ,
और फिर उन्हीं अपनों के साथ चैन से सो जाते हैं ,
और खींच जाते हैं कोरे मन पर भय की कई लकीरें !
कवि- राजू रंजन
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