यूँ ही सह लेता हूँ हर बेरुखी,
क्योंकि कोई नहीं सहेगा मेरे जाने के बाद ।
इस सन्नाटे की आदत तो कर ही लेनी चाहिए,
क्योंकि रहेगा तो बस सन्नाटा ही मेरे जाने के बाद ।
पतझड़ ही लगता है अब खूबसूरत मुझे,
क्योंकि पतझड़ ही तो बचेगा मेरे जाने के बाद ।
शब्दों की खूब आजमाइश कर रहा हूँ आजकल,
क्योंकि ये शब्द ही तो बचेंगे मेरे जाने के बाद ।
बटोरता रहता हूँ यादों को भरसक ,
क्योंकि ये यादें ही तो बचेंगी मेरे जाने के बाद ।
रच देना चाहता हूँ हर पन्ने पर मेरे प्रेम के गीत ,
क्योंकि ये गीत ही तो बचेंगे मेरे जाने के बाद ।
कवि - राजू रंजन
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