ऐ चाँद ! सुनो तुम जल जाते,
जब उस चाँद से तुम्हारा मिलना होता ।
तुमसे रौशन यह जग होता,
उससे रौशन जीवन होता ।
उसकी मुस्कान की चाँदनी से,
भींगा अंतस पावन होता ।
इक सुरलहरी सी उठती ,
जब-जब नयनों में स्पन्दन होता ।
उस शांत भाल की दृष्टि से,
व्रण शीतल तन चंदन होता ।
कवि - राजू रंजन
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