हे कृष्ण ! तुम्हे शत - शत वंदन !
तुम सखा तुम्हारा अभिनंदन !
बन गुरु दिखाते सत्य कभी,
बन प्रेमी जगाते प्रेम कभी ,
यह लीला तुम्हारी तुम जानो,
मैं प्रेम मगन करता नर्तन ।
सुख-दुख में अविचल साथ खड़े ,
करता तुमको सबकुछ अर्पण ।
जग है नश्वर क्षण - क्षण बदले,
तुम कल जैसे ही आज खड़े ,
हे कृष्ण ! तुम्हे शत - शत वंदन !
तुम सखा तुम्हारा अभिनंदन !
कवि- राजू रंजन
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