शांत शून्य सा निश्छल आकाश ।
धवल चाँदनी बिखेरता आकाश ।
झिलमिल तारों में मुस्काता आकाश ।
गुलाब की पंखुड़ियों को ओस में नहलाता आकाश ।
सबके मन में आशा की किरण जगाता आकाश ।
प्रातः सूर्य किरणों की आस जगाता आकाश ।
मलिन मनों में सत्व के अंकुर उगाता आकाश ।
उस विशाल को आँखों में समाता आकाश ।
कवि - राजू रंजन
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