शेष को जनवरी 11, 2021 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप विश्वास- बंध जब विगलित हों,तो श्वास- बंध क्यों शेष रहें ?जब व्यर्थ समय का चक्र चले,तो शब्द- दंश क्यों शेष रहें ?जब असत्य अकंप हो वाणी में,तो सत्य कहो क्यों शेष रहे ?जब भाव नहीं हो जीवन में,तो काल कहो क्यों शेष रहे ?कवि- राजू रंजन टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें