बुद्ध का शोक


ओ यशोधरे !
बदला है युग ,
हैं बुद्ध शोक में ,
ज्ञानी तुम !
वो बीते युग के प्रश्न जगे ,
हैं अनुत्तरित मुख बंद पड़े ।
जो कल था मौन वो आज विकल ,
और कल के विकल हैं आज मौन ।
है प्रतिशोध ये युग का,
या शाप क्लेश का कालजयी ।
दुःख - सुख के हैं चक्र नियत ,
पर पात्र हैं बदले आज कई ।

कवि - राजू रंजन

टिप्पणियाँ