राक्षस

पर्वतों की चोटियों पर राक्षस रहते थे और घाटियों में इंसान ।
राक्षसों की अपनी दुनिया थी और इंसानों की अपनी । राक्षस कभी घाटी में नहीं उतरते थे और इंसान चोटियों पर जाने से परहेज करते थे । राक्षसों को एक सुविधा थी । वे चोटी से घाटियों में झाँक सकते थे । पर , उन्हें घाटियों में जाने की अनुमति नहीं थी ।
एक राक्षस को इंसानों में बड़ी दिलचस्पी थी । वह उन्हें छुप - छुप कर देखा करता था । उसे इंसानों के चेहरे बड़े सुंदर दिखते थे । इंसानों के सिर पर सींग नहीं थे और उनके चेहरे भयानक भी नहीं थे । हालाँकि ताकत में राक्षस कई गुना शक्तिशाली थे ।
तो उस राक्षस को एक सनक सवार हुई । उसे अपने सींग हटाने थे और इंसानों की तरह दिखना था । हालाँकि उसे अपनी ताकत से कोई परहेज नहीं था ।
उसने कई राक्षसों से पूछा - " वह कैसे इंसानों की तरह दिख सकता है ? कैसे उसके सींग हटेंगे ? "
पर , सभी उसके सवालों पर हँस पड़ते और कहते - " राक्षस हमेशा राक्षस की तरह ही दिखते हैं और वे इंसान नहीं बन सकते । "
पर , राक्षस की इच्छा मरी नहीं । उसने बहुत सोचा और इंसानों को छुपकर देखना जारी रखा । फिर एक दिन कुछ अलग घटित हुआ । उसने इंसानों में एक बड़ी सुंदर - सी , फूल - सी लड़की देखी । उसके हँसने से लगता मानों फूल झर रहे हों । वह चलती तो हवा में भीनी - सी खुशबू फ़ैल जाती । और राक्षस पर इंसानों का जादू चढ़ गया । वह भूल गया कि वह राक्षस है । उसने राक्षसों के कायदे तोड़ दिए । वह घाटी में उतर चला । मंत्रमुग्ध - सा ! लड़की आगे - आगे और राक्षस पीछे - पीछे । घाटी में हाहाकार मच गया । सब इधर - उधर भागने लगे । जब लड़की ने पीछे देखा तो वह भी डर गयी । एक राक्षस उसके पीछे - पीछे चल रहा था । वह भी भागने लगी । भागते - भागते अपने मकान के अंदर चली गयी । मकान के ऊँचे फाटक बंद कर दिए गए । सारे इंसान अपने - अपने मकानों में बंद हो गए ।
एक राक्षस उनकी दुनिया में उतर चुका था ।  रात गहरी हो चली थी । चारों तरफ अँधेरा ! बस ! चाँद की दूधिया रौशनी थी ।
वह उस लड़की के मकान के आगे ही घास पर बैठ गया और चाँद की तरफ देखने लगा । चाँद में भी उसे उसी लड़की का चेहरा दिख रहा था । वह चाँद को निहारता रहा ।
निर्निमेष !
चाँद की रौशनी छिटक - छिटक कर राक्षस पर पड़ती रही । हवाओं ने मंद - मंद बहना शुरू किया । हवाओं में हरसिंगार के फूलों की खुशबू थी । हवा उस राक्षस के शरीर को सहलाती रही । रात भर प्रकृति सुन्दर से सुन्दरतर और फिर सुन्दरतम होती चली गयी ।
और राक्षस के मन का प्रेम सारी दुनिया में फैल गया !
धीरे - धीरे राक्षस के सींग गायब हो गए और उसके चेहरे की भयावहता मिटती चली गयी !
और राक्षस इंसान हो गया !
*            *               *              *
लेखक - राजू रंजन

टिप्पणियाँ