वंदन


श्याम ! सुनो तुम आज हमारा,
हृदय करे फिर से वंदन ।
अश्रु जल से फिर फिर हो,
उन चरणों का अभिनन्दन ।
मुरली की तानों पर फिर से ,
नाचे हर गोपी - बाला ।
देखे एकटक फिर से तुमको ,
जैसे नयन नहीं हाला ।
हो लीन पुनः अंतस तुम में ,
द्वैत की अद्भुत चाह मिटे ।
पल - पल टूटे , बिखरे मन की ,
आज अनोखी प्यास मिटे ।
अविरल बहते प्रेम - धार में ,
डूबूँ और फिर पार चलूँ ।
तुम भी आओ मौन विरह में ,
रो लूँ और फिर साथ चलूँ ।

कवि - राजू रंजन

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