सेंटोरियन

time

अचानक मेरा सिर तेजी से घूमने लगा । सबकुछ घूमते - घूमते अपनी परिधि को छोटा बनाता हुआ  मानों एक बिंदु में समा गया हो । और फिर मेरी चेतना समाप्त हो गयी । जब मुझे होश आया तो देखा कि दो मानव की शक्ल वाले लोग मुझे घसीट कर एक दीवार की ओट में ले जा रहे हैं । मैं पूरी शक्ति से चिल्लाना चाहता था किन्तु , उनमें से एक ने मेरे मुँह को जोर से दबा रखा था । दीवार के पीछे ले जाकर उन्होंने मुझे छोड़ दिया और दूसरे व्यक्ति ने मुझे चुप रहने का इशारा किया । उसके इशारे को समझकर मैंने चुप रहना ही बेहतर समझा ।
" कौन हो तुम ? यहाँ कैसे आये ? और तुम्हारे कपडे तो बिलकुल अलग से हैं ! "
उनमें से एक अत्यंत धीमे स्वर में बोला ।
मैंने उन दोनों को ऊपर से नीचे तक देखा । हाँ ! दोनों मनुष्य ही थे । उन्होंने जूट से बने भूरे रंग के कपड़े पहन रखे थे । दोनों के कपड़े एकसमान थे । मेरी नज़र उनके पैरों पर पड़ी । दोनों पैरों में लोहे के छल्ले लगे थे जो एक छड़ से जुड़े थे । मेरे मन में सवाल उठा -
" कहीं ये कैदी तो नहीं ? "
मैंने पूछे गए प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया था । मेरी नज़र अबतक उन बेड़ियों पर टिकी थी ।
" हमारे पैरों में यह डाला गया है ताकि हम तेजी से चल नहीं सके, दौड़ नहीं सके । " फिर वही व्यक्ति बोला । मैंने उसकी आँखों में देखा । उसकी आँखें गहरे नीले रंग की थी । उसने मुझसे फिर से पूछा -
" कौन हो तुम ? "
मानों मेरा मस्तिष्क फिर से घूमने लगा । जैसे मैंने अपनी चेतना को उस बिंदु से बाहर निकालकर उसकी परिधि को विस्तार दे दिया हो । मुझे सबकुछ याद आ गया ।
मैं सन 2050 से आया हूँ । और अगर मैं गलती नहीं कर रहा तो यह सन 2150 है । मैं टाइम मशीन से इस समयान्तराल को पार करके आया हूँ । “
मेरे उत्तर को सुनकर वह हँस पड़ा ।
“ फिर से एक ! तुम्हारे जैसे लोग खूब आ रहे हैं हमारे पास आजकल । मुझे घृणा है तुमलोगों से । “
मैंने देखा उसका मुख विकृत हो उठा । उसने जमीन पर थूक दिया ।
“ तुमलोगों की वजह से आज हमारी यह हालत है । हमलोग जानवरों की तरह जी रहे हैं । तुम्हारे कर्मों का फल है हमारा यह जीवन । “
और वह गुस्से से भर उठा । वह मुझे मारने के लिए अपना हाथ मेरी ओर बढ़ा रहा था कि उसके साथ खड़े दूसरे आदमी ने उसे पीछे खींच लिया । वह उसे समझाते हुए बोला –
“ तुम्हारी बातें इसे समझ नहीं आएंगी । तुम जाओ यहाँ से । “
वह व्यक्ति गुस्से में पैर पटकता हुआ वहाँ से चला गया । दूसरा व्यक्ति मेरे निकट आकर पास ही जमीन पर बैठ गया । 
“ मेरा नाम लियो है । “ उसने मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ाया ।
“ मैं रिकी ! वह कैसी बातें कर रहा था । हमलोग कैसे ज़िम्मेवार हैं ? और यह कैसी जगह है ? यह कोई जेल है क्या ?
“ हाँ ! जेल भी कह सकते हो या अगर उससे भी बदतर कोई नाम तुम्हारी सभ्यता में हो तो वह भी हो सकता है । दरअसल यह एक फार्म है । मनुष्यों का फार्म ! यहाँ मनुष्यों की खेती होती है । उन्हें पैदा किया जाता है , फिर बड़ा किया जाता है और फिर उन्हें खा लिया जाता है । “
उसकी कही हुई बातों से मैं चौंक गया । उसके अंतिम वाक्य से तो मेरी रीढ़ की हड्डी में सिहरन दौड़ गयी । मैं तुरंत बोल उठा –
“  क्या बकवास कर रहे हो ? आदमी की खेती और उन्हे खाया जाता है । कहीं तुम पागल तो नहीं ?
“ नहीं ! मैं पागल नहीं हूँ । तुमने जो सुना वह बिलकुल सही है । यहाँ हर इंसान अब सिर्फ किसी का भोजन – मात्र रह गया है । तुम गलत समय में आ चुके हो या हो सकता है सही समय में । शायद तुम जान सको कि तुम्हारे समय के लोगों की किन गलतियों की सजा हम भुगत रहे हैं । “
“ मुझे पहेलियाँ मत बुझाओ । सबकुछ सही तरीके से समझाओ ।“
मैं उसकी बातों को सुनकर अचंभित था । एक डर मेरे मन में समा चुका था । मैं पूरी बात जानना चाहता था । उसने एक बार मेरी ओर देखकर अपनी नजरें दूसरी ओर फेर ली । वह आकाश की ओर देखने लगा और बोला –
“ इस कहानी की शुरुआत आज से करीब उनचास वर्ष पहले हुई थी । सन 2101 की बात है । मनुष्य ने काफी तरक्की कर ली थी । हम मंगल ग्रह में कॉलोनी बना चुके थे । अन्तरिक्ष से हमारा रिश्ता गहरा हो चुका था । अब हमारी नजर परग्रही जीवन की खोज पर थी । हम किसी अन्य ग्रह के जीवों को भी ढूँढना चाहते थे । हम लगातार ब्रह्मांड में तरंगे छोड़ रहे थे ।  ताकि अगर किसी अन्य ग्रह पर जीवन हो तो वो हमसे संपर्क कर सकें । तुम्हारे समय के या यूँ कहो कि थोड़ा और पहले , स्टीफन हाकिंग ने इस बात को लेकर वैज्ञानिकों को चेताया था । उन्होने कहा था –
इस तरह से ब्रह्मांड में तरंगें छोडना मानवजाति के लिए खतरनाक हो सकता है । क्योंकि अगर ब्रह्मांड में एलियन हुए तो हम तक पहुँच सकते हैं । हमें नहीं मालूम कि वे हमारे दोस्त होंगे या दुश्मन ?
लेकिन उस समय के वैज्ञानिकों ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया । फिर वही हुआ जिसका डर था । एलियन ने हमें ढूंढ निकाला । पहले वो कम संख्या में चुपके से आए । फिर एक दिन वे बड़ी संख्या में आए । पूरी पृथ्वी पर युद्ध छिड़ गया । मात्र दस दिनों के भीतर उन्होंने पृथ्वी पर कब्जा कर लिया । वो तकनीक में हमसे कहीं आगे थे । साथ ही उनके शरीर का आकार भी हमसे काफी बड़ा है । वो करीब 20 फुट लंबे होते हैं । वो खुद को सेंटोरियन पुकारते हैं । सेंटोरियन के पास सबसे खास तकनीक है टेलीपोर्टेशन की । जिसके सहारे वो कहीं से भी गायब होकर तुरत दूसरी जगह प्रकट हो जाते हैं । उनकी इसी तकनीक की वजह से मानवजाति उनसे हार गयी । उनसे हारना तो बस हमारे बुरे दिनों की शुरुआत थी । सेंटोरियन शाकाहारी थे । वो जिस ग्रह से आए थे वहाँ सभी जीव शाकाहारी थे । उन्हे पता भी नहीं था कि किसी दूसरे जीव को खाया भी जा सकता है । पृथ्वी पर आकर उन्होंने हमारे बारे में सभी सूचनाएँ इकट्ठी की । हम क्या खाते हैं ? कैसे रहते हैं ? हमारी सभ्यता – संस्कृति – सबकुछ । उन्हे सबसे ज्यादा आश्चर्य हमारे खान – पान को लेकर हुआ । उन्हे पहली बार पता चला कि शाकाहारी के साथ – साथ मांसाहारी जीव भी होते हैं । एक जीव दूसरे जीव को खा भी सकता है । मनुष्य दूसरे जीवों को खाता था । यह बात उनके लिए आश्चर्यजनक थी । सेंटोरियन ने जानना चाहा कि हम क्यों दूसरे जीवों को खाते थे । उसमें ऐसा कौन सा स्वाद है ? उन्होंने सबकुछ चखा – बकरा , भेंड , सूअर , गाय , भैंस , मुर्गा , कबूतर – सबकुछ ! वो हमारे खाने के ढंग से प्रभावित हुए । यह उनके लिए बिलकुल नया था । फिर एक दिन वह हुआ जो नहीं होना चाहिए था । एक सेंटोरियन ने एक मनुष्य को मारकर उसे चिकन की तरह तला और मसाले डालकर खाने के लिए परोस दिया । सेंटोरियन ने उसे खाया और न जाने क्यों उन्हे यह स्वाद अन्य सभी जानवरों के स्वाद से बेहतर लगा । फिर तो हर दिन मनुष्यों को काटा जाने लगा । मनुष्य अब उनके लिए काफी कीमती हो गए । वह उनका पसंदीदा स्वादिष्ट भोजन बन गया । मनुष्यों को कैद करके रखा जाने लगा । फिर बड़े – बड़े बाड़  बनाए गए जहाँ मनुष्यों को भेड़ – बकरियों की तरह रखा जाने लगा । वो हमें खिला – पिलाकर बड़ा करते हैं फिर हमें बाजार में ले जाकर बेच देते हैं । वहाँ  से सेंटोरियन हमें खरीदकर ले जाते हैं और फिर हमें मारकर खा जाते हैं । ठीक वैसे ही जैसे तुमलोग मुर्गियों , बकरों आदि का व्यापार करते हो और उन्हें खाते हो । आज हमें सिर्फ इसलिए बड़ा किया जाता है कि वे एक दिन हमें खा सकें । हम उनके लिए मात्र एक खाद्य – पदार्थ हैं । यह भी एक फार्म है जहाँ मेरे जैसे एक हजार मनुष्य रहते हैं । ऐसे दो हजार फार्म यहाँ एक साथ बनाए गए हैं । जिसका मालिक एक सेंटोरियन है । पूरी पृथ्वी पर ऐसे लाखों फार्म हैं । अगर तुमलोग जीवों को न खाते तो सेंटोरियन को कभी नहीं पता चलता कि दूसरे जीवों को भी खाया जा सकता है । और शायद आज हमारी यह हालत नहीं होती । “
मैं स्तब्ध था । मेरे मुख से कोई शब्द नहीं निकल पा रहा था । फिर दोबारा उसने कहना प्रारम्भ किया –
“ बहुत स्वाद मिलता था ना तुमलोगों को जानवरों के मांस में ! वैसा ही स्वाद मिलता है हमारे माँस में इन्हें ! पर , हमारे लिए अभी आशा की किरण दिख रही है । इन सेंटोरियनों का एक बड़ा हिस्सा आज भी शाकाहारी है । वे लोग चाहते हैं कि सेंटोरियन फिर से शाकाहारी बन जाएँ । चूँकि  हम इन्सानो से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है , पाया है । इसलिए उन्हें यह सब अनैतिक लगता है । इस बार शाकाहारी सेंटोरियन की सरकार बनी है । वे कानून बनाने वाले हैं कि मनुष्यों को कत्ल न किया जाये । विपक्ष इस कानून के खिलाफ है । उनका कहना है कि किसी सेंटोरियन के खाने का चुनाव सरकार नहीं कर सकती । कोई क्या खाएगा और क्या नहीं – यह किसी भी सेंटोरियन का निजी मसला है । सरकार का इसमें हस्तक्षेप स्वतन्त्रता में हस्तक्षेप है ।
कल के दिन वह हुआ जो इस पृथ्वी पर कभी नहीं हुआ था । विपक्ष के लोगों ने  सरकार के कानून के विरोध में एक साथ सौ मनुष्यों को काटा और भोज आयोजित किया । इस मुद्दे को लेकर सेंटोरियन बुद्धिजीवियों के दो धडे बन चुके हैं । प्रगतिशील कहलाने वाले सेंटोरियन इसे उचित मानते हैं और वे शाकाहारी सेंटोरियन को पुरातनपंथी मानते हैं । उनके अनुसार समय के साथ सभ्यता – संस्कृति में परिवर्तन आता है और भोजन भी परिवर्तित हो सकता है । उनका कहना है कि खुद मनुष्यों ने हजारों वर्षों तक दूसरे जीवों को मारकर खाया है । उनके साथ किसी भी प्रकार की दयालुता दिखाने का कोई कारण नहीं बनता । “
इतना कहकर वह चुप हो गया । मैं अबतक चुपचाप सब सुन रहा था । किन्तु, उसके चुप होते ही बोल पड़ा –
“ लेकिन , मुझे विश्वासनहीं हो रहा । वो कैसे इन्सानों को मारकर खा सकते हैं ?
लियो मेरे सवाल को सुनकर थोड़ा खीझ उठा ।
“ क्यो  नहीं हो सकता ? तुमलोगों ने जानवरों को मारकर इतने सालों तक खाया । अगर उसमें कुछ गलत नहीं तो फिर इन्सानों को मारने में क्या गलत है ? जब मनुष्य इस पृथ्वी पर सर्वाधिक शक्तिशाली था तो उसने अन्य जीवों  को अपना भोजन समझा । तुमलोग सिर्फ मानव की हत्या को ही हत्या मानते थे । आज मानव से भी शक्तिशाली प्राणी इस पृथ्वी पर हैं । उनके लिए सिर्फ सेंटोरियन की हत्या ही हत्या है । शेष जीवों की उन्हें कोई चिंता नहीं । मानवों और सेंटोरियन में कोई विशेष फर्क नहीं । और महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसा करना उन्होने हमसे ही सीखा है ।
रिकी ! तुम्हारे पास सिर्फ एक घंटे का समय शेष है । इसके बाद सेंटोरियन इस फार्म में आनेवाले हैं । वो हममें से कुछ को गाड़ियों में लादकर ले जाएँगे । उनके आने से पहले तुम्हें वापस अपनी दुनिया में लौट जाना होगा । नहीं तो तुम भी यहाँ फँस जाओगे । “
लियो के शब्दों में मेरे लिए चेतावनी थी ।
“ मुहे अब भी विश्वास नहीं हो रहा । “ - मैं  बोल उठा ।
“ तो ठीक है ! आओ मेरे साथ । वह मुझे एक पतले से गलियारे से एक खुले हौलनुमा कमरे में लेकर आया । उस बड़े कमरे में कई लोग बैठे थे । उनकी नजर मुझ पर पड़ी । पर , जैसे कुछ विशेष न घटा हो । वे वापस अपने काम में लग गए ।
“ इनलोगों को मुझे देखकर कोई आश्चर्य नहीं हुआ । ? “ मैंने कहा ।
इसमें आश्चर्य कि कौन सी बात है ? टाइम मशीन से तुम्हारे जैसे कई लोग हमारे पास आ चुके हैं । इसलिए हम इसके आदी हो चुके हैं । “
लियो मेरा हाथ पकड़कर एक बेंच के पास ले गया । सामने एक बड़े आकार का टेलीविजन लगा था ।
“ बस ! यही एक अच्छी चीज़ हैं जो उन्होंने हमें दे रखी है । वे चाहते हैं कि हमें दुनिया में घट रही घटनाओं की जानकारी हो । “
लियो ने रिमोट से चैनल बदला । सामने स्क्रीन पर कुछ शब्द फ्लैश होने लगे ।
“क्या मानव – हत्या बंद होनी चाहिए ? क्या मानव – माँस पर प्रतिबंध हमारी स्वतन्त्रता का उल्लंघन नहीं ?
ऐसे कई वाक्यों के फ्लैश होने के बाद एक एंकर दिखा । यह एंकर एक सेंटोरियन था । काफी लंबा – शायद 20 फुट का । उसका चेहरा भैंसे की तरह का था । लेकिन वह दो पैरों पर खड़ा था । वह हिन्दी बोल रहा था ।
“ यह हमारी भाषा कैसे बोल लेते हैं ?
“ यह डबिंग है । खास हमारे समझने के लिए । “
एंकर ने कहा –
“ मानव – हत्या पर चर्चा करने के लिए आज हमारे बीच हैं जाने – माने लेखक एवं संविधानविद पारकर सेंटोरी ।
एक भैंसे के जैसे शक्ल वाला सेंटोरियन कुर्सी पर बैठा था । एंकर उसके सामने जाकर बैठ गया । फिर सवाल – जवाब का सिलसिला शुरू हुआ ।
एंकर – मि o पारकर मानव – हत्या पर रोक लगाने के कानून पर आपके क्या विचार हैं ?
पारकर – सबसे पहले तो मुझे मानव – हत्या शब्द पर आपत्ति है । यह हत्या नहीं है । हत्या शब्द का इस्तेमाल सिर्फ सेंटोरियन के लिए ही किया जा सकता है ।  मानव छोटे जीव हैं जिनका इस्तेमाल हम भोजन के रूप में कर रहे हैं । पृथ्वी पर हमारे आने से पहले मानवों ने भी अन्य जीवों का भोजन के रूप में इस्तेमाल किया है । उन्होंने कभी भी इसके लिए हत्या शब्द का इस्तेमाल नहीं किया । सबसे पहले आप अपने शब्द को सुधारें ।
एंकर – ठीक है  मि o पारकर ! हम मुद्दे पर आते हैं । क्या मनुष्यों को भोजन के लिए इस्तेमाल करना सही है ? जबकि सेंटोरियन पृथ्वी पर आने से पहले शाकाहारी थे ।
पारकर – परिवर्तन हमेशा होता है । यह सही है कि हम शाकाहारी थे । लेकिन , हम सेंटोरी ग्रह पर रहते थे । वहाँ की जलवायु यहाँ से काफी अलग थी । और फिर हमने शाकाहारी होकर क्या किया ? अपने ही ग्रह के वातावरण का नाश कर डाला । सभी जीव सिर्फ पेड़ – पौधों पर आश्रित थे । अंततः हमें वह ग्रह छोडना पड़ा । धन्यवाद मानवों का ! उन्होंने हमें सिखाया कि भोजन में विविधता होनी चाहिए । शाकाहार एवं मांसाहार दोनों का प्रयोग होना चाहिए । तभी वे इस पृथ्वी पर इतने लंबे समय तक टिके हैं । उनसे ही हमने सीखा है कि अन्य जीवों को भी खाया जा सकता है । तो फिर इसमें दुविधा कैसी है ? आप किनके प्रति दयालुता दर्शाने की बात करते हैं जिन्होंने स्वयं पृथ्वी के किसी भी अन्य जीव के प्रति दयालुता नहीं दिखाई । “
एंकर – लेकिन मांसाहार की आवश्यकता क्यों है ?
पारकर – आवश्यकता है । भोजन का चुनाव सेंटोरियन का मौलिक अधिकार है । उसे क्या खाना है और क्या नहीं खाना है – इसके लिए विवश नहीं कर सकते । मनुष्य का माँस सस्ता है और इस पृथ्वी पर आसानी से उपलब्ध है । सेंटोरी ग्रह के पौधों को उगाने लायक वातावरण बनाने में हमें यहाँ अभी भी चालीस वर्ष लगेंगे ।  और अगर आप हिसाब लगाएँ तो सेंटोरी से लाया गया भोजन अब केवल बीस वर्ष ही चल पाएगा । ऐसे में अगर हम मानव – माँस को आहार बनाए रखते हैं तो आसानी से अपने लाये हुए भोजन को साठ वर्ष तक चला सकते हैं । तबतक इस पृथ्वी पर हमारे ग्रह जैसे पेड़ – पौधे भी मिलने लगेंगे । मेरा तो कहना है कि मानव – माँस ही हमें इस पृथ्वी पर बचा सकता है । हम अब वापस सेंटोरी नहीं जा सकते । 
एंकर – हमारे संविधान का इस बारे में क्या कहना है ?
पारकर – हमारा संविधान सेंटोरी ग्रह का ही है । उसके अनुसार हमें अपना भोजन चुनने की स्वतन्त्रता है  । इस लिहाज से हम मानव – माँस खा सकते हैं ।
एंकर – लेकिन यह संविधान तब का है जब हमें पता नहीं था कि जीवों को भी खाया जा सकता है । संविधान सिर्फ शाकाहार के बारे में है ।
पारकर – जहां तक मेरा मानना है संविधान सिर्फ भोजन के बारे में है । वहाँ शाकाहार या मांसाहार का वर्णन नहीं है । इसलिए हम माँस खा सकते हैं । इसपर किसी भी प्रकार का नियंत्रण लगाना संविधान के विरुद्ध होगा । सरकार का इस प्रकार का कानून लाना संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ है ।
एंकर – मि o पारकर धन्यवाद ! तो ये थे मि o पारकर के मानव – माँस से संबन्धित विचार । हमें आज्ञा दीजिये ।
कार्यक्रम के अंत में मानवों के काटने , चीरने , तलने आदि के दृश्य दिखने लगे । मुझसे यह सब देखा नहीं गया । मैंने अपनी आंखे बंद कर ली ।
मुझे किसी के हँसने की आवाज़ आई । मैंने अपनी आँखें खोली । सामने लियो था ।
“ आँखें बंद कर लेने से सच्चाई छुप नहीं जाएगी ! इससे पहले कि सेंटोरियन यहाँ आ पहुंचे । तुम चले जाओ । “

लियो के शब्दों में व्यंग्य था और साथ ही चेतावनी भी । मैंने अपनी कलाई पर बंधे बटन को दबाया । मेरे चारों ओर की हवा तीव्र गति से घूमने लगी और मैं उस वबंडर में कैद कुछ ही क्षणों में वहाँ से गायब हो गया । 
लेखक - राजू रंजन

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