फ़क़ीर की ख़ुशी

lotus


स्वागतम् ।
राजा ने फ़कीर को देखा । फिर पूछा अपने मंत्री से  "ये इतना खुश क्यों दिखता है ?"
मंत्री ने कहा " क्योंकि इसे घमंड नहीं है । "
" तो क्या घमंड न हो तो इंसान खुश रहेगा ? "
" जी । महाराज ।"
"तो क्या मैं घमंडी हूँ ?"
मंत्री अपनी ही बात में फँस गया । पर वो था चतुर ।
" पर, महाराज । आप तो दुनिया में सबसे ज्यादा खुश हो । किसी से भी पूछ लो । "
राजा ने सबसे पूछा । सबने कहा  "राजा से ज्यादा खुश तो दुनिया में कोई हो ही नहीं सकता ।"
पर,एक दिक्कत थी । जब भी वो अलमस्त फ़क़ीर उसके सामने से गुजरता , राजा को उसकी ख़ुशी देखकर बड़ी जलन होती । राजा को लगा कि सब मुझसे डरकर ऐसा बोल रहे हैं। यह फ़क़ीर तो मुझसे कहीं ज्यादा खुश है ।
लगता है , मंत्री की बात सच है । शायद मुझमें घमंड है।
उसी पल राजा ने सोच लिया " आज से मेरा और घमंड का कोई वास्ता नहीं । "
कई दिन गुजर गए । राजा को लगने लगा की वो पहले से ज्यादा खुश है ।
फिर एक दिन की बात है ।वो फ़क़ीर फिर सामने से गुजरा । ना जाने क्यों आज फिर राजा को उससे जलन महसूस हुई ।
राजा परेशान हो उठा । उसने सोचा फ़क़ीर से ही पूछ लूँ ।
राजा ने अपने रथ से फ़क़ीर को आवाज दी ।
फ़क़ीर ने उस तरफ देखा फिर रथ की तरफ चला आया ।
आते ही उसने रथ चलानेवाले सारथी को कहा " तेरे घोड़े तो बड़े शानदार हैं । और बता इनको तू खिलाता क्या है ?........."
और फ़क़ीर मजे से उससे बातें करने लगा । राजा की तरफ तो उसका कोई ध्यान ही नहीं था । राजा परेशान ! उसकी आँखे थोड़ी सुर्ख होने लगीं ।
थोड़ी देर बाद फ़क़ीर राजा की तरफ मुड़ा " बोलो सुल्तान । मुझसे कोई खता हो गयी क्या ? "
राजा को लगा उसे फ़क़ीर ने अहमियत नहीं दी ।
गुस्से में राजा बोला "तू मुझसे ज्यादा खुश कैसे है ? "
फ़क़ीर मुस्कुराया फिर बोला " जब कोई तुझसे बात करने से पहले तेरे गाड़ीवान से बात करेगा और तेरी आँखे सुर्ख नहीं होंगी , उस दिन तू मुझसे ज्यादा खुश हो जाएगा ।"
और फ़क़ीर अपने रास्ते चल पड़ा ।
लेखक ---- राजू रंजन


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